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GST अधिकारियों ने किया ₹15851 करोड़ के फर्जी ITC क्लेम का खुलासा-3558 फर्जी कंपनियों का पता चला

गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) अधिकारियों ने वित्त वर्ष 2025-26 के पहली तिमाही में 15,851 करोड़ रुपये के फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का खुलासा किया है। पिछले साल की समान अवधी के तुलना में यह 29 प्रतिशत अधिक है। हालांकि, इस मामले में पकड़े गए फेक कंपनियों और प्रतिष्ठानों की संख्या पिछले साल के मुकाबल कम रही है। वर्तमान वित्त वर्ष के अप्रैल-जून तिमाही के दौरान केंद्रीय और राज्य के जीएसटी अधिकारियों ने कुल 3,558 फर्जी प्रतिष्ठानों को चिन्हित किया है, जो कि पिछले साल पकड़े गए 3,840 संस्थाओं से कम है।

गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के नेतृत्व में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री टैक्स में हुई चोरी की पता लगा रहे हैं और इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) धोखाधड़ी पर पूरी तरह से लगाम लगाने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाए जा सकते हैं, इन सभी विषयों पर व्यापक चर्चा चल रही है। इसमें बातचीत में देश के विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री को शामिल किया गया है।

टैक्स चोरी के मामले में 53 लोग गिरफ्तार

मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, एक अधिकारी ने बताया कि औसतन हर महीने में लगभग 1,200 फर्जी प्रतिष्ठानों का खुलासा किया जा रहा है। अप्रैल-जून तिमाही के दौरान पकड़े गए एसे फर्मों की संख्या पिछले साल के मुकाबले कम हुई है, जिससे इस बात की जानकारी मिलती है कि फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन के खिलाफ चलाया जा रहा अभियान कारगर साबित हो रहा है। वित्त वर्ष 26 की जून तिमाही में 3,558 फर्जी कंपनियों से जुड़े 15,851 करोड़ रुपये का घोटाला सामना आया है। इस मामले में विभाग के अधिकारियों ने 53 लोगों को गिरफ्तार करते हुए 659 करोड़ रुपये बरामद किए हैं।

इनपुट टैक्स क्रेडिट क्या है?

वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) के तहत किसी भी प्रोडक्ट और सर्विस पर चुकाए गए टैक्स के बदले मिलने वाला क्रेडिट ITC यानी इनपुट टैक्स क्रेडिट कहलाता है। आप आसान भाषा में इसे समझ सकते हैं- मान लीजिए कि आपने 10 प्रतिशत जीएसटी दर के साथ 1000 रुपये का कोई भी सामान अपने सप्लायर से खरीदा। इस खरीदारी पर टैक्स के रूप में 100 रुपये का भुगतान हुआ। अब यही 100 रुपये की जानकारी सप्लायर को सरकार को देनी होती है।

टैक्स में कैसे की जाती है हेराफेरी?

बाद में कारोबारी सप्लायर से 10 प्रतिशत की जीएसटी दर पर लिए उत्पाद को और 10 प्रतिशत जीएसटी यानी की 150 रुपये पर बेचता है। जीएसटी दर में बदलाव के बाद 1000 रुपये का सामान 1500 रुपये में बिक रहा है। इस तरह से कारोबरी रिटेल विक्रेता से जीएसटी वसूलता है। ऐसे में उन्हें भी सरकार को 150 रुपये जीएसटी सरकार को देने चाहिए। अब इस टैक्स का दावा क्रेडिट या कटौती के रूप में की जा सकती है। फर्जी कंपनियों के द्वारा गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट कर सरकार को नुकसान पहुंचाया जाता है।

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