रात में कॉफी का सेवन करने वाली महिलाएं हो जाएं सतर्क, रिसर्च में हुआ ये खुलासा

कॉफी का सेवन करना हर किसी को पसंद होता है। चाय की तरह दो-तीन कप पी ही लेते है। पुरुषों के अलावा महिलाएं भी काफी मात्रा में कॉफी का सेवन करती है। यह कॉफी का सेवन सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसका खुलासा हालिया रिसर्च में हुआ है।एक नए अध्ययन के अनुसार, रात में कॉफी पीना खासकर महिलाओं के लिए परेशानियों का सबब बन सकता है। उनमें आवेगपूर्ण व्यवहार बढ़ सकता है, जिससे बिना सोचे-समझे जोखिम भरे काम करने की संभावना बढ़ जाती है।
जानिए क्या कहती है स्टडी
यहां पर महिलाओं के लिए रात के समय कॉफी का सेवन करना सही नहीं माना गया है। यह अध्ययन द यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास एट एल पासो (यूटीईपी) के बायोलॉजिस्ट ने किया, जिसके परिणाम शिफ्ट वर्कर्स, स्वास्थ्यकर्मियों और सैन्य कर्मियों, खासकर महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं। यह अध्ययन ‘आईसाइंस’ जर्नल में प्रकाशित हुआ, जो रात में कैफीन के सेवन का व्यवहार पर प्रभाव जानने के लिए किया गया। इसमें मॉडल के तौर पर फ्रूट फ्लाइज (ड्रोसोफिला मेलानोगास्टर) पर प्रयोग किए गए। यह वैज्ञानिक अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण मॉडल प्रजाति है।फ्लाइज इसलिए चुनी गईं क्योंकि उनके जेनेटिक और नर्वस सिस्टम में इंसानों के साथ कुछ समानताएं हैं। यह समानता वैज्ञानिकों को जटिल व्यवहारों, जैसे इम्पल्सिविटी और आत्म-नियंत्रण का अध्ययन करने में मदद करती है।
मक्खियों को रिसर्च में किया गया था शामिल
आपको बताते चलें, रिसर्च के लिए मक्खियों को शामिल किया गया था। उनके व्यवहार से पता लगाया गया है।दिलचस्प बात यह है कि दिन में कैफीन लेने वाली मक्खियों में ऐसा आवेगपूर्ण व्यवहार नहीं दिखा। साथ ही, मेल और फीमेल मक्खियों में कैफीन की मात्रा समान होने के बावजूद, फीमेल मक्खियों में कैफीन से प्रेरित आवेगपूर्ण व्यवहार मेल की तुलना में काफी अधिक था।
रात में कैफीन की मात्रा नहीं लें
प्रोफेसर क्यूंग-एन हान ने बताया कि इस अध्ययन से रात में कैफीन के प्रभाव को समझने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, “मक्खियों में इंसानों जैसे हार्मोन नहीं होते, इसलिए फीमेल मक्खियों में कैफीन के प्रति बढ़ी हुई संवेदनशीलता के पीछे अन्य जेनेटिक या शारीरिक कारक हो सकते हैं।
उन्होंने आगे बताया, “इन कारकों का पता लगाने से हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि रात के समय शरीर की कार्यप्रणाली और जेंडर-विशिष्ट विशेषताएं कैफीन के प्रभाव को कैसे बदलती हैं।”