आज है जन्माष्टमी, जानिए किस विधि से रखें व्रत और कैसे करें लड्डु गोपाल की पूजा

सनातन धर्म में जन्माष्टमी व्रत का बड़ा महत्व है। देशभर में हर साल भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। अधिकतर लोग कृष्ण जी को खुश करने के लिए जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं। बता दें, व्रत की शुरुआत सुबह सूर्योदय के साथ हो जाती है और इसका समापन कई लोग रात 12 बजे के बाद कर लेते हैं तो वहीं कई श्रद्धालु अगले दिन अपना व्रत खोलते हैं।
ऐसी मान्यता है कि जो कोई जन्माष्टमी का व्रत श्रद्धा-भाव से रखता है उसकी समस्त मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। साथ ही उस पर राधा-कृष्ण की विशेष कृपा बरसती है। अब सवाल ये उठता है कि आखिर जन्माष्टमी का व्रत रखा कैसे जाता है। यहां हम इस बारे में ही आपको विस्तार से बताएंगे।
ये है जन्माष्टमी व्रत के नियम :
- जन्माष्टमी व्रत के नियम एक दिन पहले से शुरू हो जाते हैं।
- जन्माष्टमी से एक दिन पहले यानी सप्तमी तिथि को सात्विक भोजन करें और मन शांत रखें।
- व्रती को पूरे दिन अपनी इच्छानुसार निर्जला या फलाहार उपवास रखना चाहिए।
- इस दिन प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा, तंबाकू इत्यादि चीजों का भूलकर भी सेवन नहीं करना चाहिए।
- व्रत वाले दिन सुबह स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान श्री कृष्ण के समक्ष घी का दीपक
- जलाकर व्रत का संकल्प लें।
- पूरे दिन अपना मन भगवान की भक्ति में लगाएं रखें।
- इस व्रत में अन्न का सेवन बिल्कुल भी न करें। आप फलाहारी भोजन ले सकते हैं।
- रात के समय भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं और परिवार सहित उनकी आरती करें।
- इसके बाद भगवान को भोग लगाकर प्रसाद सभी में बांट दें।
- जन्माष्टमी का व्रत अपने यहां की परंपरा के अनुसार उसी दिन रात 12 बजे के बाद या फिर अगले दिन सूर्योदय के बाद खोलना चाहिए।
- इस दिन भगवान के मंदिर में जाकर दर्शन जरूर करने चाहिए।
कृष्ण जन्माष्टमी व्रत पारण मुहूर्त 2025
जो लोग जन्माष्टमी के दिन ही व्रत पारण करते हैं वो रात 12 बजे की पूजा के बाद अपना व्रत खोल सकते हैं।
वहीं जो अगले दिन व्रत खोलते हैं वो 17 अगस्त की सुबह 05:51 के बाद अपना उपवास खोल सकते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी की रात में व्रत कैसे खोलें
जन्माष्टमी की रात में व्रत खोलने से पहले भगवान कृष्ण की विधि विधान पूजा करें और उन्हें उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाएं। इसके बाद पूजा में चढ़ाए गए प्रसाद को खाकर अपना व्रत खोल लें। रात की पूजा के बाद आप सात्विक भोजन ग्रहण कर सकते हैं।