किसानों के लिए 25,000 करोड़ रुपए की ‘कृषि समृद्धि योजना’; सीधे खाते में लाभ

मुंबई: राज्य सरकार ने राज्य में कृषि क्षेत्र को मज़बूत करने और किसानों को जलवायु परिवर्तन के संकट से उबारकर आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की है। “कृषि समृद्धि योजना” नामक इस योजना के तहत अगले पांच वर्षों में 25,000 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश किया जाएगा। इस योजना की धनराशि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) पद्धति के माध्यम से किसानों के बैंक खातों में जमा की जाएगी और इसका क्रियान्वयन 2025-26 से शुरू होगा।
यह नई और अधिक व्यापक योजना “नानाजी देशमुख कृषि संजीवनी परियोजना” की तर्ज पर जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और घटती उत्पादकता जैसी समस्याओं के कारण कठिनाइयों का सामना कर रहे किसानों को राहत प्रदान करने के लिए तैयार की गई है।
योजना का मुख्य उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उद्देश्य कृषि क्षेत्र में बुनियादी ढांचे का निर्माण करके किसानों की आय में वृद्धि करना, उत्पादन लागत कम करके उत्पादकता बढ़ाना, फसल पद्धति में बदलाव लाना और जलवायु-संवेदनशील खेती को प्रोत्साहित करना है।
धनराशि कहां से आएगी?
इस योजना के लिए आवश्यक बड़ी धनराशि संशोधित फसल बीमा योजना के कार्यान्वयन से होने वाली बचत से उपलब्ध कराई जाएगी। मंत्रिमंडल ने इस योजना के लिए प्रति वर्ष 5,000 करोड़ रुपए के प्रावधान को मंजूरी दी है, जो पांच वर्षों के लिए कुल 25,000 करोड़ रुपए होगा।
‘कृषि समृद्धि योजना’ की मुख्य विशेषताएं:
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी): इस योजना के तहत सभी लाभ सीधे किसानों के बैंक खातों में जमा किए जाएंगे, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी।
प्राथमिकता: इस योजना में छोटे और सीमांत भूमिधारकों, महिला किसानों, अनुसूचित जाति और जनजाति तथा दिव्यांग किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही, किसान समूहों और उत्पादक कंपनियों को भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
आधुनिक तकनीक पर ध्यान: सूक्ष्म सिंचाई, जलवायु अनुकूल बीज, डिजिटल खेती, कृषि यंत्रीकरण और एक मजबूत मूल्य श्रृंखला के निर्माण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
‘पहले आओ, पहले पाओ‘: इस योजना के तहत लाभ ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर वितरित किए जाएंगे।
एग्रीस्टैक पंजीकरण आवश्यक: इस योजना का लाभ उठाने के लिए सभी किसानों के पास ‘एग्रीस्टैक’ पंजीकरण संख्या होना अनिवार्य होगा।
प्रशिक्षण पर ध्यान: योजना के कुल कोष का 1% किसानों के प्रशिक्षण के लिए आरक्षित किया जाएगा, ताकि वे नई तकनीकों का प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकें।