छत्तीसगढ़

पद्मश्री सुरेंद्र दुबे के निधन पर पूर्व सीएम भूपेश बघेल, सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने जताया शोक

रायपुर. छत्तीसगढ़ के हास्य कवि पद्मश्री सुरेंद्र दुबे के निधन पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शोक जताया है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित छत्तीसगढ़ के हास्य कवि डॉ. सुरेन्द्र दुबे के निधन का दुखद समाचार मिला है. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति एवं परिवारजनों को दुःख सहने का सामर्थ्य दे. रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने भी दुख जताया है.

सांसद बृजमोहन ने ट्वीट कर लिखा है – हर पल मुस्कान बाँटने वाला चला गया… छत्तीसगढ़ के रत्न, हमारे प्रिय साथी और जाने-माने हास्य कवि पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे के निधन का समाचार अत्यंत पीड़ादायक है. अपने तीखे व्यंग्य और हास्य से उन्होंने समाज को गहराई से छुआ है, हंसाया है. वहीं गंभीर विषयों पर सोचने को मजबूर किया है. दुबे जी ने 20 वर्षों तक मेरे साथ लगातार काम किया है. उनमें किसी विषय को समझने, पहचानने और उस विषय को अंतिम परिणीति तक पहुंचाने की अद्भुत कला थी. वे छत्तीसगढ़ की साहित्यिक और सांस्कृतिक पहचान थे, जिनकी भरपाई भविष्य में संभव नहीं है. ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और परिजनों को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें.छत्तीसगढ़ के हास्य कवि पद्मश्री सुरेंद्र दुबे का आज 26 जून को हार्टअटैक से निधन हो गया. रायपुर के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में उनका इलाज चल रहा था, जहां उन्होंने अंतिम सांसें ली. उनके निधन की खबर से छत्तीसगढ़ समेत देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है. सुरेंद्र दुबे कविताओं के एक भारतीय व्यंग्यवादी और लेखक थे, वह पेशे से एक आयुर्वेदिक चिकित्सक भी थे. सुरेन्द्र दुबे छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध हास्य कवियों में शुमार थे. वे छत्तीसगढ़ ही नहीं देश-विदेश में भी अपनी कविताओं से लोगों को हंसाते थे. वे अपनी पंक्तियों के जरिए लोगों को खुश कर देते थे. उन्होंने कोरोना काल में उदासी के माहौल को दूर करने के लिए एक कविता भी लिखी थी.
डॉ. सुरेंद्र दुबे ने हास्य और व्यंग्य जैसी विधाओं को सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि सामाजिक चिंतन का जरिया बनाया. मंच पर उनकी प्रस्तुति, शब्दों का चयन और आत्मविश्वास दर्शकों को प्रभावित करता था. उन्होंने अपनी कविताओं से केवल हँसाया नहीं, बल्कि सामाजिक विसंगतियों, राजनीतिक हलचलों और मानवीय संवेदनाओं को भी छुआ और लोगों को सोचने पर मजबूर भी किया.8 जनवरी 1953 को बेमेतरा, छत्तीसगढ़ में जन्मे डॉ. दुबे पेशे से आयुर्वेदिक चिकित्सक थे, लेकिन पहचान उन्होंने एक साहित्यकार और हास्य कवि के रूप में बनाई. भारतीय साहित्य के साथ ही छत्तीगसढ़ी भाषा में उनकी पकड़ बेहद मजबूत थी. उन्होंने पांच किताबें लिखी हैं और कई मंचो और TV शो पर दिखाई दिए. उन्हें भारत सरकार द्वारा वर्ष 2010 में देश के चौथे उच्चतम भारतीय नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.

इससे पहले पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे को वर्ष 2008 में काका हाथरसी से हास्य रत्न पुरुस्कार प्राप्त हुआ था. वर्ष 2012 में पंडित सुंदरलाल शर्मा सम्मान, अट्टहास सम्मान और संयुक्त राज्य अमेरिका में लीडिंग पोएट ऑफ इंडिया सम्मान प्राप्त हो चुके हैं.बता दें, पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे ने छत्तीसगढ़ की माटी से लेकर देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी कविताओं से सबका दिल जीता है. उन्हें अमेरिका (America) के वाशिंगटन (Washington) में अंतरराष्ट्रीय हिन्दी एसोसीएशन द्वारा आयोजित समारोह में पद्मश्री डॉ सुरेंद्र दुबे को हास्य शिरोमणि सम्मान 2019 से सम्मानित किया गया था. नार्थ अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन की ओर से शिकागो में पद्मश्री डॉ. सुरेन्द दुबे को छत्तीसगढ़ रत्न सम्मान से भी सम्मानित किया गया था. पद्मश्री डॉक्टर सुरेंद्र की रचनाओं पर देश के 3 विश्वविद्यालयों ने पीएचडी की उपाधि भी प्रदान की है, जो उनकी साहित्यिक और अकादमिक उपलब्धियों की पुष्टि करती है.

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