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ट्रंप के ‘टैरिफ’ का असर! भारत-कनाडा रिश्तें होने लगे करीब, दिल्ली आ रही गीता पर शपथ लेने वाली मंत्री

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लगातार कनाडा पर निशाना साधा है। चुनावों के दौरान उन्होंने कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने तक का सुझाव दिया था। राष्ट्रपति पद संभालने के बाद उन्होंने कनाडा पर टैरिफ भी लगाया। इसी तरह भारत पर भी उन्होंने टैरिफ लगाया। ट्रंप के इस कदम के बाद भारत और कनाडा को अपने पुराने मतभेद भूलकर फिर से सहयोग की दिशा में कदम बढ़ाना पड़ा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की जून में हुई बैठक के बाद दोनों देशों के रिश्ते सुधार की ओर बढ़ते दिख रहे हैं। अब खबरें हैं कि कनाडा की विदेश मंत्री अनिता आनंद अगले महीने भारत का दौरा कर सकती हैं। अनिता आनंद वही मंत्री हैं जिन्होंने भगवद् गीता पर हाथ रखकर शपथ ली थी।
तनाव के बाद पहली द्विपक्षीय यात्रा

यह भारत और कनाडा के बीच 2023 में पैदा हुए तनाव के बाद किसी भी देश के विदेश मंत्री की पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी। उस समय दोनों देशों के संबंध खराब हो गए थे, जब कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में हत्या के लिए भारत सरकार पर आरोप लगाया था और संसद में इसे भारतीय एजेंट्स की जिम्मेदारी बताया था। हालांकि, मोदी और कार्नी की हाल की बैठक के बाद रिश्तों में नई गर्मजोशी देखने को मिली है। इसी क्रम में इस महीने भारत और कनाडा ने अपने-अपने उच्चायुक्तों की नियुक्ति फिर से की है।
रिश्तों में आने लगी नई गर्माहट

कुछ ही दिन पहले, सितंबर में कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया सलाहकार नाथाली ड्रूइन तथा उप-विदेश मंत्री डेविड मॉरिसन भारत आए थे। इसके बाद अब विदेश मंत्रियों की मुलाकात को दोनों देशों के रिश्तों में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। भारत ने वरिष्ठ राजनयिक दिनेश पटनायक को और कनाडा ने क्रिस्टोफर कूटर को उच्चायुक्त नियुक्त किया है।

रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में हुई बैठक में भारत का विदेश मंत्रालय और ग्लोबल अफेयर्स कनाडा ने लोकतांत्रिक मूल्यों, कानून के शासन और एक-दूसरे की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करते हुए अपने संबंधों को और मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की। दोनों देश अब व्यापार, रक्षा, ऊर्जा, नागरिक परमाणु, सुरक्षा, कानून प्रवर्तन और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे क्षेत्रों में संवाद को फिर से सक्रिय करेंगे। इसके अलावा, उन्होंने राजनयिक स्टाफ की कमी को दूर करने पर भी सहमति जताई, ताकि नागरिकों, छात्रों और व्यवसायियों को बेहतर व कुशल कांसुलर सेवाएं प्रदान की जा सकें।

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