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पहला क्रिकेट बोर्ड…जो ICC मेंबर होने के बावजूद हुआ दिवालिया, खिलाड़ियों के भविष्य पर लटकी तलवार

अमेरिका में क्रिकेट के लिए एक बड़ा झटका सामने आया है। यूएसए क्रिकेट (USAC) ने अमेरिकन क्रिकेट एंटरप्राइजेज (ACE) के साथ चल रहे विवाद में सुनवाई शुरू होने से ठीक पहले दिवालियापन (Bankruptcy) की घोषणा कर दी।

क्रिकबज की रिपोर्ट के अनुसार, दिवालियापन के कारण सुनवाई को तुरंत रोक दिया गया। यह पहला मौका है जब किसी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) से मान्यता प्राप्त बोर्ड ने ऐसा कदम उठाया है।

क्या है पूरा मामला?

यूएसए क्रिकेट और अमेरिकन क्रिकेट एंटरप्राइजेज के बीच मई 2019 से एक व्यावसायिक साझेदारी थी, जिसमें मेजर क्रिकेट लीग (MLC) और अन्य विकास योजनाओं का संचालन शामिल था। लेकिन इस साल की शुरुआत में यूएसए क्रिकेट ने यह साझेदारी तोड़ दी। यूएसए क्रिकेट ने कहा कि अमेरिकन क्रिकेट एंटरप्राइजेज ने अपनी संविदात्मक और वित्तीय जिम्मेदारियों को पूरा नहीं किया, जिनमें राष्ट्रीय टीम और सपोर्ट स्टाफ को भुगतान शामिल है। ACE ने इन आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि उसने निर्धारित राशि से अधिक का भुगतान किया है और USAC के फैसले को अनुचित बताया।

ACE की तीखी प्रतिक्रिया

ACE के प्रवक्ता ने क्रिकबज से कहा कि USAC प्रारंभिक सुनवाई की शुरुआत भी नहीं देखना चाहता था, क्योंकि परिणाम स्पष्ट था। उनके पास समझौते को समाप्त करने का कोई आधार नहीं था। यह कदम क्रिकेट और खिलाड़ियों के हित में नहीं है, बल्कि राजनीति और बोर्ड के सदस्यों की निजी महत्वाकांक्षाओं से प्रेरित है।

खिलाड़ियों और स्टाफ पर प्रभाव

दिवालियापन की घोषणा के बाद राष्ट्रीय और अन्य खिलाड़ियों के अनुबंध अब ‘चैप्टर 11’ के तहत आ गए हैं। इसका मतलब है कि अब कोर्ट द्वारा भुगतान स्थगित या संशोधित किए जा सकते हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि ACE ने अस्थायी निषेधाज्ञा (temporary injunction) के बदले भुगतान जारी रखने की पेशकश की थी, ताकि समझौता आगे बढ़ सके, लेकिन USAC ने इसे ठुकरा दिया।

ICC और USOPC पहले ही चेतावनी दे चुके थे

इससे पहले ICC और अमेरिकी ओलंपिक और पैरा ओलंपिक समिति (USOPC) ने USAC बोर्ड से इस्तीफा देने और सुधार लागू करने की मांग की थी, ताकि ICC की फंडिंग बहाल की जा सके। लेकिन बोर्ड ने इन मांगों को नकार दिया। सूत्रों के अनुसार बोर्ड निदेशक अंज बालासु को हटाए जाने और ICC पर दबाव बनाने के लिए दिवालियापन को एक ‘लीवरेज’ की तरह इस्तेमाल करने की योजना पहले ही बनाई जा चुकी थी।

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